7 साल पहले श्रीहरिकोटा से 65 करोड़ किमी दूर मंगल के सफर पर निकले मंगलयान की पूरी कहानी

मंगल पर पहुंचना दुनियाभर के स्पेस साइंटिस्ट के लिए बड़ी चुनौती थी, पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने जो किया, वह स्पेस साइंस में पहले कभी नहीं हुआ था। भारत ने 5 नवंबर 2013 को 1350 किलो वजन वाले मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान को लॉन्च किया। यह एक ऐसा मिशन था, जिसने भारत की पहचान पूरी दुनिया में बदल दी। एक साल बाद 24 सितंबर 2014 को भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलता के साथ मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया। यह एक ऐसा कारनामा था, जो कोई नहीं कर सका था। पहली बार में तो बिल्कुल ही नहीं।

PSLV-C25 ही मंगलयान को पृथ्वी की कक्षा से बाहर छोड़कर आया था।

65 करोड़ किमी. का सफर तय करके मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा और इस मिशन पर खर्च इतना कम था कि पूरी दुनिया ने दांतों तले अंगुली दबा ली। दरअसल, हॉलीवुड की फिल्म ग्रैविटी बनाने में जितना खर्च हुआ, उससे काफी कम में भारत मंगल ग्रह पर पहुंच गया। सिर्फ 450 करोड़ रुपए खर्च हुए थे इस पर। यानी प्रत्येक भारतीय पर महज 4 रुपए का बोझ पड़ा। दुनियाभर में अब तक किसी भी इंटर-प्लैनेट मिशन से इसरो का मंगल मिशन कहीं सस्ता है। एक अनुमान के मुताबिक, मंगलयान के सफर की कीमत 11.5 रुपए प्रति किमी. है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के 16वें मंगल मिशन में भेजे गए स्पेसक्राफ्ट मावेन के मंगल की कक्षा में पहुंचने के ठीक 48 घंटे बाद भारत का मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर गया।

असेंबल होने से पहले मंगलयान के कम्पोनेंट। सोर्सः ISRO

पहले तो बताया गया कि यह मिशन छह महीने का है, यानी मंगलयान को छह महीने तक मंगल ग्रह के चक्कर लगाने थे और वहां की महत्वपूर्ण जानकारियां पृथ्वी पर भेजनी थीं। मंगल की सतह पर मौजूद मिनरल्‍स का अध्‍ययन करना था। भविष्‍य में मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन शुरू करने की संभावना भी टटोलनी थी। मीथेन की मौजूदगी की स्टडी भी करनी थी। 2018 में इस यान ने पांच साल पूरे किए। इसके बाद अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म "मिशन मंगल" में भारत के मंगल अभियान को फिल्माया गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष यान में कितना ईंधन बचा है, उसके आधार पर वह कितने समय तक काम करता रहेगा, यह तय किया जाता है। लॉन्च के समय मंगलयान में अतिरिक्त ईंधन डाला गया था और इसी वजह से 5-6 साल चल सका।

2010 में दुनिया ने माना भारत को आर्थिक महाशक्ति

5 नवंबर 2010 को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने भारत और चीन को ग्लोबल इकोनॉमिक हैवीवेट के तौर पर पहचान दी। दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में उनकी भूमिका को महत्व दिया। उस समय के IMF चीफ डोमिनिक स्ट्रॉस-कॉन ने वॉशिंगटन, डीसी में संगठन के बोर्ड की मीटिंग के बाद फंड्स के वोटिंग पॉवर में सुधार लाने की योजना की घोषणा की।

भारत और दुनिया में 5 नवंबर को यह महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं:

  • 1556ः पानीपत के दूसरे युद्ध में मुगल शासक अकबर ने हेमू को हराया।
  • 1630: स्पेन और इंग्लैंड के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर।
  • 1678: जर्मनी की विशेष सेना ब्रैंडनबर्गर्स ने स्वीडन में ग्रीफ्सवाल्ड शहर पर कब्जा जमाया।
  • 1895: ऑटोमोबाइल के लिए जॉर्ज बी सेल्डम को अमेरिका का पहला पेटेंट मिला।
  • 1914ः इंग्लैंड एवं फ्रांस ने तुर्की के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
  • 1920ः इंडियन रेडक्राॅस सोसाइटी की स्थापना हुई।
  • 1937ः एडोल्फ हिटलर ने गुप्त बैठक बुलाकर जर्मन जनता के लिए ज्यादा जगह लेने की अपनी योजना का खुलासा किया।
  • 1951ः नेवादा परमाणु परीक्षण केंद्र में अमेरिका ने परमाणु परीक्षण किया।
  • 1961ः भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने न्यूयॉर्क की यात्रा की।
  • 1976ः सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।
  • 1995ः इजरायल के प्रधानमंत्री यित्जाक रॉबिन की गोली मारकर हत्या।
  • 1996ः पाकिस्तान के राष्ट्रपति फारूख अहमद खान ने बेनजीर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर पाक नेशनल असेंबली भंग की।
  • 2001ः भारत तथा रूस ने अफगान सरकार में तालिबान की भागीदारी नामंजूर की।
  • 2006ः इराक में पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को मौत की सजा सुनाई गई।
  • 2007ः चीन का पहला अंतरिक्ष यान चेंज-1 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।
  • 2012ः सीरिया में आत्मघाती बम धमाके में 50 सैनिक मारे गए।


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