कस्बे में लोगों के भूखे मरने की नौबत थी, कम्युनिटी गार्डन और तालाब ने आत्मनिर्भर बना दिया

कोरोना महामारी से कोई देश, कोई बड़ा शहर नहीं बचा। ऐसी ही स्थिति अल सल्वाडोर के सेंटा एना कस्बे की भी हो गई थी। यहां के मुख्य चर्च में लोगों का आना बंद हो गया। इसके बाद चर्च की गतिविधियों पर भी रोक लग गई। पर इससे भी बड़ी समस्या थी, चर्च के करीबी इलाकों में रहने वाले 1700 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट।

प्रमुख पुजारी मोइसेस रुटिलियो ने इस संबंध में स्टाफ से चर्चा की। शुरुआत में उन्होंने परिवारों को किराना सामान और दवाइयों से मदद दी। पर चर्च के पास भी इतनी राशि नहीं थी कि बहुत दिनों तक सारे परिवारों को मदद दी जा सके। इसके बाद रुटिलियो ने आसपास के गांवों में रहने वाले बच्चों और युवाओं को कम्युनिटी गार्डन के बारे में बताया और मिलकर सब्जी और फल उगाने की सलाह दी।

100 से ज्यादा परिवार के बच्चे कम्युनिटी गार्डन में फल-सब्जी की खेती करते हैं

100 से ज्यादा परिवारों के बच्चों ने उनकी सलाह पर कम्युनिटी गार्डन शुरू कर दिए। इसके बाद उन्हें फल-सब्जी के लिए बाजार का भरोसा नहीं करना पड़ता। महामारी के कारण फल-सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ते गए, पर सेंटा एना और करीबी कस्बों को फर्क नहीं पड़ा।पर लोगों को बाकी खर्च जैसे टेलीफोन, बिजली बिल अदा करने में तो परेशानी हो ही रही थी।

पुजारी ने चर्च के पास ही एक तालाब बनवाया और लोगों से मछली पालन के लिए कहा

तब पुजारी ने चर्च के पास ही एक तालाब बनवाया और लोगों से मछली पालन के लिए कहा। अब इन मछलियों को बेचने से परिवारों बाकी खर्च भी निकलने लगा है। 30 अगस्त को चर्च खुलने जा रहा है। रुटिलियो का कहना है कि इस बार चर्च में लोग आएंगे वह पहले से ज्यादा खुश और आत्मनिर्भर होंगे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
100 से ज्यादा परिवारों के बच्चों ने उनकी सलाह पर कम्युनिटी गार्डन शुरू कर दिए। इसके बाद उन्हें फल-सब्जी के लिए बाजार का भरोसा नहीं करना पड़ता।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3laxKcM
via IFTTT

Post a Comment

और नया पुराने