देश में जन्म दर घट रही है। पिछले 27 साल में इसमें 32% की कमी आई है। ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में जन्म दर में ज्यादा गिरावट आई है। सेक्स रेशियो की बात करें तो देश में आज भी 9राज्य ऐसे हैं, जहां हजार लड़कों पर 900 से भी कम लड़कियां पैदा होती हैं। यूपी, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में 10% से ज्यादा महिलाएं आज भी डिलीवरी के लिए ना ही हॉस्पिटल जाती हैं, ना ही इन्हें कोई एक्सपर्ट नहीं मिलता। ये बातें जनगणना आयोग के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम 2018 के आंकड़ों में सामने आई हैं। आंकड़े हाल ही में जारी किए गए हैं।
भारत में जन्मदर लगातार घट रही है। 1971 में प्रति एक हजार लोगों पर जन्म लेने वाले जीवित शिशुओं की संख्या यानी जन्म दर 36.9 थी। 1981 में यह 33.9 हो गई। 1991 में29.5 थीजबकि 2018 में घटकर 20 हो गई।
रूरल इंडियामें जन्मदर अर्बन इंडिया की तुलना में ज्यादा बनी हुई है। 1977से 2018 के बीचग्रमीण भारत में जन्मदर 5.4 से घटकर 2.4 गई जबकि अर्बन इंडिया में 4.1 से घटकर 1.7 हो गया। 41 साल में ग्रामीण भारत में जन्म दर में 56% की गिरावट आई है। वहीं, अर्बन इंडिया में 59% की गिरावट आई है।
जहां साक्षरता दर कम, वहां जन्म दर ज्यादा
सबसे ज्यादा जन्म दर वाले पांचों राज्य में साक्षरता दर 70% कम है। सबसे ज्यादा जन्म दर वाले राज्य बिहार में 2011 की जनगणना के मुताबिक, साक्षरता दर 61.80% थी। वहीं, यूपी में 67.68, मध्य प्रदेश में 69.32, राजस्थान में 66.11 और झारखंड में 66.41% लोग ही पढ़े लिखे हैं। वहीं, जिन तीन राज्यों में जन्म दर सबसे कम है उनमें साक्षरता दर 86% से ज्यादा है। यानी, जहां लोग ज्यादा पढ़े-लिखे हैं, वहां जन्म दर ज्यादा कम है। कम पढ़े लिखे राज्यों में जन्म दर ज्यादा है।
रूरल इंडिया का सेक्स रेशियोअर्बन इंडिया से ज्यादा
भारत में 2016 से 2018 के बीच तीन साल में औसतन जन्मे बच्चों का लिंगानुपातयानी सेक्स रेशियो 899 है। यानी 1000 हज़ार लड़कों पर 899 लड़कियों का जन्म हुआ है। 2013से 2015के बीच तीन साल में औसतन जन्में बच्चों का लिंगानुपात 900 थायानीइस बार इसमें गिरावट आई है। ग्रामीण भारत में 2016 से 2018 के बीच तीन साल में 1000 लड़कों पर 900 लड़कियों का जन्म हुआ। अर्बन इंडिया में 1000 लड़कों पर 897 लड़कियों का जन्म हुआ।
अर्बन इंडिया के मुकाबले रूरल इंडिया में प्रजनन दर 24% ज्यादा
15 से 49 साल के बीच कीप्रति 1000 महिलाओं पर जन्म लेने वाले कुल जीवित शिशुओं के ऐवरेज को सामान्य प्रजनन दर या जनरल फर्टिलिटी रेट कहते हैं। भारत में 15 से 49 साल की 1000 महिलाओं पर जन्म लेने वाले बच्चों की दर 70.4 है। ग्रामीण भारत में यह दर 77.4 है जबकि अर्बन इंडिया में 56.7 है। राज्यों के हिसाब से देखें तो, बिहार और उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा, केरल और पश्चिम बंगाल में सबसे कम प्रजनन दर है।
पश्चिम बंगाल में सबसे कम उम्र में मां बनती हैं महिलाएं, 40 पार महिलाएं सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में मां बनती हैं
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में फर्टलिटी रेट 20-24 के उम्र वाली महिलाओं में पीक पर होता है। जम्मू और कश्मीर में फर्टलिटी रेट 30-34 वाली महिलाओं में पीक पर होता है। पूरे देश में 25-29 साल वाली महिलाओं में फर्टलिटी रेट पीक पर होता है। देश में 30 की उम्र के बाद महिलाओं कीफर्टिलिटी रेट कम होने लगता है।
भारत में 15-19 साल की महिलाओं की प्रजनन दर12.2 है, 20-24 साल के महिलाओं की प्रजनन दर 122.9 है, 25से 29 साल की महिलाओं की प्रजनन दर 146.4 है, 30 से 34 साल की महिलाओं की प्रजनन दर 94.7 है, 35 से 39 साल की महिलाओं की प्रजनन दर 36.9 है, 40 से 44 साल की महिलाओं की प्रजनन दर 12.7 है और 45 से 49 साल की महिलाओं की प्रजनन दर 4.4 है।
भारत में 54.5% जन्म सरकारी अस्पतालों में होते हैं। ग्रामीण भारत का सरकारी अस्पतालोंमें प्रसव काआंकड़ा 53.8% है, जबकि शहरी भारत का आंकड़ा 56.3% है। कुल प्रसव में क़्वालीफाईड डॉक्टरों से प्रसव का आंकड़ा 9.7% है जबकि, अनट्रेंड डॉक्टरों से प्रसव का आंकड़ा 7.8% है।
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