राजस्थान में सियासी उठापटक तेज हो गई है। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट को पार्टी ने पद से हटा दिया है। वहीं सचिन ने सोशल मीडिया पर अपने परिचय से कांग्रेस का नाम हटा दिया है। उन्होंने 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा भी किया है।
ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। लेकिन देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसा बहुत कम हुआ है कि अलग पार्टी या नेता अपना अस्तित्व बचाने में सफल हुए हो। सचिन के 1977 में जन्म से अब तक के 43 साल की सियासत देखें, तो इस दौरान कांग्रेस, भाजपा और जनता दल जैसी बड़ी पार्टियों से टूटकर 87 पार्टियां बनीं, पर सिर्फ 25 ही आज अस्तित्व में हैं। उनमें भी ज्यादातर छोटी-छोटी पार्टियां हैं। ऐसे में सचिन पायलट के राजनीतिक भविष्य पर सबकी नजरें टिकी हैं।
जनता दल और जेडीयू से टूटकर बनी 22 में से 16 पार्टियां सक्रिय
जनता दल का अतीत हमेशा से ही मतभेदों से भरा रहा। एकजुटता की बजाए कलह और कटुता इसके बिखराव की वजह बने। हालांकि, जनता दल ऐसी पार्टी रही, जिससे अलग होने वाले ज्यादातर नेताओं को फायदा ही हुआ। इनमें लालू, मुलायम, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार से लेकर अजित सिंह और नवीन पटनायक जैसे दिग्गज शामिल हैं।
जनता दल का अतीत हमेशा से ही मतभेदों से भरा रहा। एकजुटता की बजाए कलह और कटुता इसके बिखराव की वजह बने। हालांकि, जनता दल ऐसी पार्टी रही, जिससे अलग होने वाले ज्यादातर नेताओं को फायदा ही हुआ। इनमें लालू, मुलायम, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार से लेकर अजित सिंह और नवीन पटनायक जैसे दिग्गज शामिल हैं।
- अलग हुई ये पार्टियां सक्रियः जेडी-यू, सपा, एलजेपी, आरएलडी, आरजेडी, बीजेडी, आईएनएलडी, जेडी-एस, आरएलएसपी, सोशलिस्ट जनता दल, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा(जीतनराम मांझी), जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव), प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, जननायक जनता पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी।
- ये अस्तित्व में नहींः जनता दल गुजरात, जनता दल अजित, समता पार्टी, लोकशक्ति पार्टी।
भाजपा से टूटकर 17 पार्टियां बनीं, कोई भी अस्तित्व नहीं बचा सकी
बिना ‘कमल ’ नहीं खिल सके दिग्गज
- कल्याण सिंह जनक्रांति पार्टी
- उमा भारती जनशक्ति पार्टी
- केशुभाई पटेल जीपीपी
- बाबूलाल मरांडी जेवीएम
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