पश्चिम बंगाल में कोरोना महामारी और अम्फानसुपर साइक्लोन की दोहरी मार के बीच बचाव और राहत की राजनीति उफान पर है। सुपर साइक्लोन से क्षतिग्रस्त मकानों के मुआवजे और राहत सामग्री वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें आईं हैं। जिसको लेकर सरकार बचाव की मुद्रा में है। गड़बड़ी करने वालों से राहत राशि वसूली जा रही है।
दक्षिण 24 परगना में 250 लोगों को राहत राशि लौटानी भी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक अब तक 20 लाख रुपए की रिकवरी हुई है। भाजपा ने ममता और उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जंग छेड़ रखीहै, तो ममता बात-बात पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूक रहीं। उनका सीधा आरोप है कि केंद्र सरकार ने दोनों ही मामलों में राज्य का हक मारा है।
ममता ने कहा- बौखलाहट में फिजूल के आरोप लगाए जा रहे हैं
राहत राशि में गड़बड़ी की शिकायतों पर ममता ने 8 जुलाई को राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में सफाई दी कि जहां भी शिकायत मिली, कार्रवाई हुई। विपक्ष राजनीतिक लाभ के लिए तिल का ताड़ बना रहा है। भ्रष्टाचार तो वाम मोर्चा सरकार में था, हमने 90% रोक दिया तो बौखलाहट में फिजूल के आरोप लगाए जा रहे हैं। तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने भी बयान दिया कि राज्य के 80,000 बूथों में से 1000 में समस्याएं थीं। वहां कार्रवाई हुई है। पार्टी ने किसी को छोड़ा नहीं है।
भाजपा ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
अम्फान राहत वितरण में गड़बड़ी की शिकायतों को दर्ज करने के लिए भाजपा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने तो बाकायदा 'आमादेरदिलिपदा.इन/साइक्लोन-अम्फन' पोर्टल ही लॉन्च कर दिया है। पांच दिन पहले लॉन्च हुए इस पोर्टल पर 1056 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। घोष कहते हैं, बौखला तो दीदी गई हैं। 20 हजार की दर से पांच लाख लोगों में सरकार ने 1000 करोड़ रु. बांटा है। हमने कहा कि जिसे बांटा है उसकी लिस्ट पंचायत में टांग दीजिए।
सरकार ने ब्लॉक में टांगा। इतनी भीड़ हुई की भगदड़ मच गई। राहत के नाम पर पार्टी के लोगों को ही फायदा पहुंचाया। एक-एक घर में पांच-पांच सात-सात लोगों का नाम दे दिया। चरम पर भ्रष्टाचार है। गड़बड़ी करने वालों से पैसे वसूले जा रहे, उन्हें टीएमसी पार्टी से निकाल रही, लेकिन उन पर मुकदमे क्यों नहीं हो रहे? सबसे ज्यादा गड़बड़ी तो खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के क्षेत्र में हुई है। टीएमसी उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई कर रही।
तृणमूल और भाजपा के बीच जारी आर-पार की जुबानी जंग के बीच कांग्रेस -वाम मोर्चा अब तीसरा कोण है।माकपा पॉलिट ब्यूरो के सदस्य मो. सलीम कहते हैं, कोरोना और अम्फान के मोर्चे पर लोगों को सचेत करने के स्थान पर भाजपा व तृणमूल हिन्दू कोरोना व मुस्लिम कोराना का खेल खेलती रहगई। तैयारी कहीं कुछ किया नहीं। दोनों ओर से बस फरमान पर फरमान जारी हो रहा है। मकसद, नाकामियां छिपाना है। लॉकडाउन में लोगों की रोजी-रोटी चली गई, इसकी चिंता नहीं है।
कांग्रेस- वाम मोर्चा ने भाजपा और टीएमसी पर लगाए रोप
कोरोना की आड़ में केंद्र सरकार ट्रेन बेच रही है, खदान बेच रही है और राज्य सरकार राहत का चावल व तिरपाल बेच रही है। भाजपा ने कहा था कि चिटफंड घोटाले का पैसा लौटाएंगे लेकिन जो आरोपी थे वही भाजपा के होगए। जनता संकट में है और दोनों पार्टियां वोट का हिसाब-किताब कर रहीं हैं। जनता भी बही-खाता लेकर बैठी है, समय आने पर वह भाजपा-तृणमूल का हिसाब कर देगी। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य कहते हैं, राज्य हो या केंद्र सरकार दोनों ने जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। दोनों सिर्फ पॉलिटिकल स्कोर सेटल करने में लगीहैं।
भाजपा का आरोप- ममता सरकार केंद्र की योजनाएं लागू नहीं कर रही है
केंद्रीय योजनाओं पर भी को लेकर भी यहां बड़ा बवाल है। सरकार इन्हें इस तर्क पर लागू नहीं करती कि केंद्र से बेहतर राज्य की योजनाएं पहले से चल रही हैं। ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्रीय योजनाओं में आधे से अधिक पैसा जब राज्य को देना है तो क्रेडिट केंद्र को क्यों ? कोरोना के प्रकोप के बीच भी उन्होंने फिर दोहराया कि'आयुष्मान भारत' योजना प.बंगाल में लागू नहीं होगी। केंद्र इस योजना का 40% हिस्सा देगा और 100% क्रेडिट लेगा, ऐसा नहीं होगा।हमारी 'स्वास्थ्य साथी' योजना, आयुष्मान भारत योजना के आने से दो साल पहले से चल रही है।
भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि आयुष्मान भारत की तरह राज्य सरकार की स्कीम का लाभ राज्य के बाहर नहीं मिलता। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बाहर जाना मजबूरी है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना दीदी लागू ही नहीं होने दी। वह 'किसान बंधु' स्कीम की बात करती हैं लेकिन लाभ कितने किसानों को मिला इसकी कोई लिस्ट नहीं देतीं।
उन्होंने कहा किकेंद्र की स्कीम के तहत 80 लाख किसानों को लाभ होता। 6000 योजना का और कोविड स्पेशल का 2000 रुपए जोड़कर कुल 8 हजार रुपएकी रकम से किसानों को वंचित कर दिया। देश के जिन जिलों में 25 हजार से अधिक माइग्रेंट लेबर लौटे हैं उनके लिए 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान ' स्कीम शुरुआत हुई है लेकिन ममता सरकार ने बंगाल में इसे शुरू नहीं होने दिया। सरकार के पास यह आंकड़ा ही नहीं है कि किस जिले में कितने श्रमिक लौटे हैं। सिर्फ हवाबाजी हो रही है।
भाजपा-टीएमसी दोनों चाहते हैं कि कांग्रेस- वाम मोर्चा के लिए कोई स्पेस नहीं बचे
तृणमूल कांग्रेस हिन्दी प्रकोष्ठ के संयोजक राजेश सिन्हा इन आरोपों का खंडन करते हैं। कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में युवाश्री, कन्याश्री, कृषक बंधु जैसी 13 योजनाएं पहले से लागू हैं, जिसे केंद्र सरकार ने कॉपी किया है। पश्चिम बंगाल में कट, कॉपी, पेस्ट नहीं चलेगा। गौरतलब है कि राज्य में अप्रैल-मई 2021 में चुनाव होना है। यहां क्रेडिटलेने की होड़ और टकराव की राजनीति शुरू हो गई है। केंद्र से टकराव ही ममता की राजनीति का खाद-बीज है। भाजपा भी इसे मुफीद मानती है। दोनों ही दल आमने-सामने की टक्कर को ही फायदेमंद मान कर चल रहे हैं ताकि वाम-कांग्रेस के लिए स्पेस ही नहीं बचे।
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